दुल्हन से बड़ा कोई दहेज नहीं




– एक रुपए और नारियल में तीन विवाह संपन्न, दहेज़ प्रथा का किया बहिष्कार, समाज के सामने की नजीर पेश
लूनकरणसर :- आज के युग मे एक ओर जहां दहेज के लिए आएं दिन विवाहिताओं को परेशान कर मारपीट की जा रही है तो वहीं दुसरी ओर दहेज हत्याओं के मामलें भी दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं । ऐसे में अगर वर के घर वाले वधुपक्ष को अपनी बेटी की विदाई बिना दहेज़ के विदा करने को कहे तो अचरज़ होना सभाविक हैं । वधुपक्ष के लोगो के लिए इस तरह की कल्पना भी करना किसी सपने से कम नही होती । लेकिन यह सब सच कर दिखाया हैं लूनकरनसर तहसील के सुभाष बिश्रोई ने तहसील के चक 290 आरडी फुलदेसर निवासी सुभाष बिश्नोई ने आज एक साथ अपने दो बेटों और एक पुत्री का विवाह बिना दहेज़ के कर के समाज के सामने नजीर पेश कर दी हैं । जानकारी के अनुसार सुभाष बिश्नोई के दो पुत्रों विकास एवं अमन की शादी मुकाम निवासी दिलीप बिश्नोई की दो पुत्रियो के साथ तय हुई तथा सुभाष की पुत्री का विवाह लिखमीसर निवासी श्याम खीचड़ के पुत्र के साथ होना तय हुआ ।
दिलीप बिश्नोई ने अपनी पुत्रियों की शादी के लिए दान दहेज़ की कोई कोर कसर नही रखी । मुकाम गांव में विवाह संपन्न होने पर उसने अपने समधी सुभाष बिश्नोई को दहेज के रूप में नगदी रुपये एवं आभूषण देने की बात कही मगर सुभाष बिश्नोई ने यह कहते हुए दहेज़ लेने से मना कर दिया कि कन्यादान ही सबसे बड़ा दान हैं ।
आपकी दोनों पुत्रियां मेरे धर की बहू नही बल्कि बेटियां है । विवाह संपन्न करवाने के बाद शगुन के तौर पर एक रुपया और नारियल लेकर बारात ने विदाई ली । वहीं सुभाष बिश्नोई की पुत्री ममता का विवाह लिखमीसर निवासी श्याम खीचड़ के पुत्र के साथ हुई श्याम खीचड़ ने भी अपने समधी की तरह अपने पुत्र के विवाह में दहेज़ का बहिष्कार करते हुए नारियल और शगुन के एक रुपए में अपनी बहू की विदाई करवाई ।
सुभाष बिश्नोई ने अपने पुत्रों की शादी में दहेज़ ना लेकर पूरे समाज के सामने मिसाल पेश की और लोगों को दहेज न लेने और न देने के लिए प्रेरित किया । सुभाष के इस साहसिक कदम की सभी ने सराहना की ।

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