बालू तपती रेत बिचाळै छाँव सरीखी बेटी है


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जोधपुर के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बिजारणियां की कविताओं ने जीता मन
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'काजळ बणनै आँख समाई, बिरखा बण धरती पर आई, जिण रै हँसता काळजियै री कुमळाई कळियां मुसकाई अंतस में सीतळता भरती मा रै आंचळ लेटी है बालू तपती रेत बिचाळै छाँव सरीखी बेटी है" लूनकरणसर के युवा कवि राजूराम बिजारणियां की राजस्थानी की 'बेटी' शीर्षक की यह कविता जब मंच से गूंजी तो देर तलक तालियां बजती रही। मौका था सूर्य नगरी जोधपुर के नेहरू पार्क स्थित गणगौर उद्यान में आयोजित कवि सम्मलेन का। जिसमें  बही भावों की त्रिवेणी में घंटों श्रोतागण डूबकी लगाते रहे। कोटा के गीतकार शरद तैलंग की अध्यक्षता में आयोजित वीर, श्रृंगार व हास्य रस से सराबोर कवि सम्मेलन में बिजारणियां ने 'दिल में हिन्दुस्तान संभाले मैं एक राजस्थानी हूं', 'हर लम्हा है आज डरा क्यों' जैसे हिन्दी गीत सुनाकर श्रोताओं का मन जीत लिया।
जोधपुर केे ख्यातनाम संस्थान खुशदिलान-ए-जोधपुर की ओर से आयोजित इस कवि सम्मेलन में  रायबरेली के जय चक्रवर्ती, लखनऊ के धीरज मिश्र, दिल्ली के शशिकान्त,  अहमदाबाद के ऋषिपाल धीमान, जोधपुर से डॉ. चन्द्रकला, कोटा के शरद तैलंग ने अपनी कविताओं से सबको बांधे रखा। सम्मेलन में जोधपुर विधायक कैलाश भंसाली बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे।
संस्थान के अनिल अनवर और अन्य सदस्यगणों ने आमंत्रित कवियों का पुष्प माला, शॉल व श्रीफल से सम्मान किया।

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