होली पर कैसे करे पूजा जाने होली विशेष में

लूणकरणसर :- होली पूजा विधि 2017: होलिका दहन के लिए कौनसा मुहूर्त है सबसे शुभ और किस मंत्र से सफल होती है पूजा

होली से एक दिल पहले होलिका दहन किया जाता है। इस दिन भक्त प्रह्लाद को याद करते हुए एक खास पूजा रखी जाती है। होली से एक दिल पहले होलिका दहन किया जाता है। इस दिन भक्त प्रह्लाद को याद करते हुए एक खास पूजा रखी जाती है। घर के सभी लोग खास पूजा विधि के साथ इस पूजा में शामिल होकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इस पूजा की तैयारी सभी घरों में दो दिन पहले ही शुरू हो जाती है। लेकिन पूजा से पहले इसका शुभ मुहूर्त और विधि जानना भी बेहद जरूरी है। ऐसे में एस्ट्रो गुरु गौरव मित्तल पूजा की सही विधि और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं। भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये।

पूजन सामग्री: रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बड़कुले (भरभोलिए) आदि।

किसी साफ और स्वच्छ जगह गोबर से लीपकर उसमें एक चौकोर मण्डल बनाना चाहिए और उसे रंगीन अक्षतों से अलंकृत कर पवित्र गंगा जल से पहले उस स्थान को शुद्ध कर लेना चाहिए। ध्यान रखे की पूजन करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में हो ।

सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में सही मुहर्त पर अग्नि प्रज्ज्वलित कर दी जाती है। ध्यान रहे यह समय भद्रा के बाद का ही हो। अग्नि प्रज्ज्वलित होते ही डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है। यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक है। इसके पश्चात नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें। इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद को स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।

इसके पश्चात् हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं। विधि पंचोपचार की हो तो सबसे अच्छी है। पूजा में सप्तधान्य की पूजा की जाती है जो की गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर। होलिका के समय नयी फसले आने लग जाती है अत: इन्हे भी पूजन में विशेष स्थान दिया जाता है। होलिका की लपटों से इसे सेक कर घर के सदस्य खाते हैं और धन धन और समृधि की विनती की जाती है। होलिका के चारो तरफ तीन या सात परिक्रमा करे और साथ में कच्चे सूत को लपेटे।

होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए–

“अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:

अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:”

इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच माला विषम संख्या के रुप में करना चाहिए.

होलिका दहन मुहूर्त – 18:23 से 20:23

भद्रा पूंछ – 04:11 से 05:23

भद्रा मुख – 05:23 से 07:23

पूर्णिमा तिथि आरंभ – 20:23 बरजे (11 मार्च 2017)

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 20:23 बजे (12 मार्च 2017)

रंगवाली होली – 13 मार्च 2017

संकलन -अपनी तहसील लूनकरनसर, डिजिटल टीम

Comments

Popular posts from this blog

शिव जम्‍भेश्‍वर गौशाला का शुभारम्भ मंगलवार को

बोलेरो मोटरसाइकिल भिड़त में एक घायल

दुलमेरा स्टेशन में हिरण शिकार