दीनदयालजी का एकात्म दर्शन, राष्ट्रदर्शन हॆ--

महामना पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय की विचारधारा राष्ट्र संस्कृति से ओतप्रोत दर्शन हॆ जो सदा प्रसांगिक रहेगी। एकात्म मानववाद के प्रेणेता पं दीनदयाल जी ने मानव का अस्तित्व परिवार, समाज, राष्ट्र व ब्रह्माण्ड से एकात्म बताते हुऎ कहा था कि सिर्फ मानववादी सोच से मानव का अस्तित्व ही संभव नहीं हॆ। शिव मन्दिर धर्मशाला में आज पं दीनदयालजी की पुण्य तिथी को समर्पण दिवस के रूप में मनाते हुऎ यह बात मन्डल अध्यक्ष शिवरतन शर्मा ने रखी। शर्मा ने पंडित जी के जन्मशती वर्ष के आयोजनों में सामाजिक सारोकार से जुङने का संकल्प लेते हुऎ समर्पण निधि में यथासंभव सहयोग की अपील की।
परिचर्चा में भाग लेते हुए जिला उपाध्यक्ष सावन्तराम पचार ने दीनदयालजी के विचार अपने जीवन में ढालने का आह्वान्  कार्यकर्ताओ से किया। उन्होंने बताया कि स्वच्छ व स्वस्थ सोच से ही राष्ट् की सुद्रढता बनती हॆ।
मन्डल उपाध्यक्ष जगदीश खण्डेलवाल ने उपाध्यायजी की जीवनी व साहित्य योगदान पर प्रकाश डाला। 
इससे पूर्व पं दीनदयालजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुऎ उनका स्मरण किया।
समर्पण दिवस के इस कार्यक्रम में पं समिति सदस्य राजेश सिहाग, किसान मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल लेघा, जिला महामन्त्री अशोक सारण, महामन्त्री हनुमान बॆद, सोहनलाल गोदारा, युवामोर्चा के  उपाध्यक्ष राजपाल झोरङ, नरेश बिश्नोई, मन्त्री मालदास स्वामी, आशनाथ ,बेगाराम, मुकेश रंगा शरेयांस बेद आदि उपथित रहे।

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